JYOTIRMAY DHANANJAY POETRY

मैं और मेरी कहानियों का पिटारा
मैं मेरी कहानियों का पिटारा लिए कहीं दूर पहाड़ों में बस जाऊंगा, और जब आस पास कोई नहीं होगा तब खोलूंगा उसे अकेले में केवल वादियों से साझा करने को और उन्हे बताऊंगा अपने सफर के बारे की कैसे एक बच्चा जो अभी अभी बड़ा हो रहा था, इश्क करना सीख रहा था वो कोशिश कर रहा था समझने की आखिर मोहब्बत क्या है, क्यों है और कैसे है वो सारी दुनियां से दूर आ कर यूं फसाना - गो कैसे बन गया।
मुझे इस बात का पूरा अंदाजा है की वो वादियां मेरी कहानियों पर ताली नही बजा पाएंगे पर हां ये उम्मीद भी है वो सुनेंगे सिर्फ सुनेंगे मुझे,
जब उस दुनियां में जहां लोगों से मुझे इश्क हुआ वहां कोई मुझे सुनने वाला नहीं था तब मुझे उन वादियों का सहारा होगा जब हवाएं मेरे पीठ को सहानुभूति थपथपायेंगी, जब नदियों के बहाव की शोर मेरे साथ सिसकेंगी तब मुझे वहां एक अपनापन मिलेगा, मैं शायद खुश हो जाऊंगा और तब और जब मेरी कहानी खत्म हो जाएगी और मेरे फसाना - गो होने पे सवाल उठने लगेगा.......
एक किस्सा और जुड़ेगा मेरी कहानियों के पिटारा में और फिर से फसाना - गो हो जाऊंगा

हम शायरी करते है
एक वजह ये भी है की हम आपसे मोहब्बत करते है,
जब आपने कहा था हम भी शायरी करते है।
आपको देख कर आपकी आंखों से गजलें चोरी करते है,
तभी जाके थोड़ी बहुत हम भी शायरी करते है।
होठों से लगी रहे कोई सिगरेट यही तलब करते है
और बेवजह बेकार की हम शायरी करते है।
अपनी लकीरें,अपनी पेशानी,अपना सर सब आपके नाम करते है,
यहां सबको पता है हम किसके लिए शायरी करते है।
हर नाकाम मोहब्बत के नाम हम अपनी डायरी करते है,
और हमें वहम है की हम शायरी करते है।